दो मछलीमारो का अनुभव :-
शिपमाई मे काम करने वाले चार्ल्स हिकमेन और केलविन पार्कर
दो कर्मचारी ग्यारह अक्तूबर , 1973 को मछली पकड़ने के उद्देश्य
से मिसिसिपी (अमरीका स्थित पास्कागोला नामक नदी के किनारे)
जा पहुंचे , परंतु मछली पकड़ना तो दूर , उलटे वे खुद ही पकड़े
गए !
दोनों दोस्तो ने अभी मछली पकड़ने के उद्देश्य से पानी में अपने
कांटे डाले ही थे कि उनकी नजर एक विशाल गुब्बारनुमा वस्तु
पर जा पड़ी ! इस अजीबोगरीब वस्तु से आसमानी रंग का
प्रकाश निकल रहा था ! हवा में उड़ता वह एक यान तो था ही ,
परंतु उस जैसी बनावट वाला अद्भुत यान उन दोनो ने पहले
कभी नहीं देखा था ! उस यान ने उन दोनो के ऊपर कुछ
चक्कर काटे , फिर उसने नीचे की तरफ गोता लगाया और
करीब चालीस मीटर के दूर जाकर नीचे उतर आया !
उन दोनो के देखते-देखते उस यान का दरवाजा खुला और
उसमे से तीन प्राणी बाहर निकले ! उनकी लम्बाई कोई 1.6
मीटर थी तथा ढेरो सलवटें लिए हुए उनकी चमड़ी का रंग
भूरा था ! सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह थी कि उन तीनों
प्राणियों के चेहरे स्पष्ट नहीं , अलबत्ता नाक के स्थान पर मात्र
एक उभार एवं मुंह की जगह एक चीरा लगा था ! तीनों
प्राणी दोनो मछलीमारो की तरफ बढने लगे ! उनके कदम
धरती पर नहीं पर रहे थे ! इतना सब कुछ देखकर वे दोने
बुरी तरह घबड़ा गए ! चूंकि पीछे जगह नहीं होने की वजह
से उनका भागना संभव नहीं था , अतः दोनो का डर के मारे
बहुत ही बुरा हाल था ! जैसे ही वे दोनो प्राणी उन दो घबराए
हुए मछलीमारों तक पहुंचे , पार्कर डर के मारे बेहोश हो गया !
हिकमेन बेहोश तो नहीं हुआ , परंतु उसमें कुछ करने लायक
शक्ति नहीं रह गई थी ! ऐसा लगता था कि मानो उसे लकवा
मार गया हो ! उन प्राणियों ने उन दोनो को उठाया और अपने
साथ यान मे ले गए ! यान में पहुँचकर उन प्राणियों ने अनेक
अजीबोगरीब उपकरणों से उन दोस्तो का शारिरिक परीक्षण
किया !
परीक्षण कार्य पूर्ण होने पर पार्कर और हिकमेन को उठाकर
नदी रे किनारे छोड़ दिया ! बुरी तरह से घबड़ाए दोनो मछलीमार
अब जान गए थे कि सूदूर अंतरिक्ष में कहीं-न-कहीं अवश्य ही
जीवन है !
अगर आपको ये कहानी पसंद आई हो तो इसे like या share
जरूर करें !
शिपमाई मे काम करने वाले चार्ल्स हिकमेन और केलविन पार्कर
दो कर्मचारी ग्यारह अक्तूबर , 1973 को मछली पकड़ने के उद्देश्य
से मिसिसिपी (अमरीका स्थित पास्कागोला नामक नदी के किनारे)
जा पहुंचे , परंतु मछली पकड़ना तो दूर , उलटे वे खुद ही पकड़े
गए !
दोनों दोस्तो ने अभी मछली पकड़ने के उद्देश्य से पानी में अपने
कांटे डाले ही थे कि उनकी नजर एक विशाल गुब्बारनुमा वस्तु
पर जा पड़ी ! इस अजीबोगरीब वस्तु से आसमानी रंग का
प्रकाश निकल रहा था ! हवा में उड़ता वह एक यान तो था ही ,
परंतु उस जैसी बनावट वाला अद्भुत यान उन दोनो ने पहले
कभी नहीं देखा था ! उस यान ने उन दोनो के ऊपर कुछ
चक्कर काटे , फिर उसने नीचे की तरफ गोता लगाया और
करीब चालीस मीटर के दूर जाकर नीचे उतर आया !
उन दोनो के देखते-देखते उस यान का दरवाजा खुला और
उसमे से तीन प्राणी बाहर निकले ! उनकी लम्बाई कोई 1.6
मीटर थी तथा ढेरो सलवटें लिए हुए उनकी चमड़ी का रंग
भूरा था ! सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह थी कि उन तीनों
प्राणियों के चेहरे स्पष्ट नहीं , अलबत्ता नाक के स्थान पर मात्र
एक उभार एवं मुंह की जगह एक चीरा लगा था ! तीनों
प्राणी दोनो मछलीमारो की तरफ बढने लगे ! उनके कदम
धरती पर नहीं पर रहे थे ! इतना सब कुछ देखकर वे दोने
बुरी तरह घबड़ा गए ! चूंकि पीछे जगह नहीं होने की वजह
से उनका भागना संभव नहीं था , अतः दोनो का डर के मारे
बहुत ही बुरा हाल था ! जैसे ही वे दोनो प्राणी उन दो घबराए
हुए मछलीमारों तक पहुंचे , पार्कर डर के मारे बेहोश हो गया !
हिकमेन बेहोश तो नहीं हुआ , परंतु उसमें कुछ करने लायक
शक्ति नहीं रह गई थी ! ऐसा लगता था कि मानो उसे लकवा
मार गया हो ! उन प्राणियों ने उन दोनो को उठाया और अपने
साथ यान मे ले गए ! यान में पहुँचकर उन प्राणियों ने अनेक
अजीबोगरीब उपकरणों से उन दोस्तो का शारिरिक परीक्षण
किया !
परीक्षण कार्य पूर्ण होने पर पार्कर और हिकमेन को उठाकर
नदी रे किनारे छोड़ दिया ! बुरी तरह से घबड़ाए दोनो मछलीमार
अब जान गए थे कि सूदूर अंतरिक्ष में कहीं-न-कहीं अवश्य ही
जीवन है !
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