साइबेरिया का रहस्य : Mystery of Siberia -
समय-समय पर हमारी पृथ्वी पर ऐसे घटनाए होती होती है, जो समस्त लोगो को झझोड कर रख देती है ! इनमे से कुछ प्राकृतिक तो कुछ अप्राकृतिक, अर्थात स्वयं मानव के कारण घटित होती है ! परन्तु कुछ घटनाएं ऐसे भी होती है, जिनके बारे में कभी पता नहीं चलता की उनके पीछे क्या रहस्य रहा था !
समय-समय पर हमारी पृथ्वी पर ऐसे घटनाए होती होती है, जो समस्त लोगो को झझोड कर रख देती है ! इनमे से कुछ प्राकृतिक तो कुछ अप्राकृतिक, अर्थात स्वयं मानव के कारण घटित होती है ! परन्तु कुछ घटनाएं ऐसे भी होती है, जिनके बारे में कभी पता नहीं चलता की उनके पीछे क्या रहस्य रहा था !
समूचे विश्व का ध्यान अपनी और खीचने वाली ऐसे ही एक घटना 30 जून 1908 को रूस के साइबेरिया इलाके में घटित हुए थी ! घटना वाले दिन एक विशाल अग्नि-पिंड आकाश को चीरता हुआ धरती की तरफ बढ़ने लगा ! फिर वह विशाल अग्नि -पिंड एक जोरदार धमाके के साथ धरती से टकराया ! टक्कर इतनी जोरदार थे की समूचे साइबेरिया का इलाका काँप उठा ! कंपन की तीव्रता से सारा इलाका थर्रा गया !
धमाका कितना जोरदार था, इसकी भयावहता का अनुमान
इसी बाद से लगाया जा सकता है कि धमाके के बाद धुल और
अग्नि का एक विशाल बादल आकाश में बन गया ! हरे पेड़
जो धमाके के स्थान से 30 किलोमीटर के घेरे में थे, धुल
धूसरित होकर नष्ट हो गयी !
जोरदार धमाके के असर से 60 किलोमीटर दूर रहने वाले लोग भी उसकी आवाज और कम्पन से बेहोश होकर गिर पड़े ! धमाके की वजह से खड़े मकान पल भर में मिट्टी में मिल गयी और तो और 60 किलोमीटर दूर स्थित जानवर भी अपने आप को संभाल नहीं पाए और जमीन पर गिर पड़े !
बाद में जब धमाके स्थल का जायजा लेने के लिए वैज्ञानिक वहां पहुंचे, तो उनकी उम्मीदों के अनुसार उन्हें वहां एक विशाल गड्ढा मिलने का विशवास था ! उनकी इस उम्मीद का कारण था उनका विश्वास, की हो न हो, वहां जरूर कोई विशाल उल्कापिंड धरती से टकराया था !
ऐसा होने की दशा में ये अवश्यंभावी था की धमाके स्थल पर एक विशाल गड्ढा हो, परन्तु घटनास्थल पर पहुंचे वैज्ञानिको उस समय स्तब्ध रह गए , जब उन्होंने वहां ऐसा कुछ नहीं पाया ! आश्चर्य की बात तो यह थी की घटनास्थल के बीचो बीच कई स्थानो पर जंगल सुरक्षित था और वहां अब भी पेड़ खड़े थे ! धमाके से नष्ट हुए शेष इलाके के अपेक्षा वहां कम नुक्सान हुआ था !
कितनी अनोखी बाद थी की जिस धमाके की वजह से तीस किलोमीटर तक का सारा जंगल नष्ट हो गया हो, वही ठीक धमाके स्थल पर सबसे कम नुकसान हुआ हो !
एक बाद तो साफ थी की धमाके का कारण चाहे जो रहा हो, परन्तु वह उल्कापिंड की वजह से कतई नहीं था ! घटना स्थल का अध्ययन करने पर पता चला की धमाका धरती से टकरा कर नहीं हुआ, अपितु वह पृथिवी की सतह से काफी ऊपर हवा में हुआ था !
कुछ लोगो के अनुसार धमाके का कारण यू. एफ. ओ (unorganised flying objects यानि अंतरिक्ष से अन्य ग्रहो से आने वाले यान ) था ! एक ऐसी उड़न-तश्तरी, जो शायद आणविक शक्ति से संचालित थे और किसी कारण से उसमे विस्फोट हो गया हो !
कई लोग जो U.F.O से सम्बंधित अध्ययन में लगे हुए है, इस तथ्य को ही वास्तविकता मानते है ! उनके इस तथ्य को कई वैज्ञानिकों ने भी बिना किसी हील हुज्जत के मान लिया !
हालाँकि आज कई वैज्ञानिक इस बात को मानने से इंकार करते है, परन्तु वे भी धमाके के कारण का कोई भी स्पष्टीकरण नहीं दे पाए है ! साइबेरिया में उस दिन क्या हुआ था या क्या नहीं हुआ था, यह आज भी एक रहस्य ही है ! पर जो बात सबसे अच्छी रही, वह यह की वो धमाका सुदूर जंगल
में हुआ था न की किसी शहर के बीचोबीच !
उम्मीद करता हूँ साइबेरिया का रहस्य (Mystery of Siberia) siberia ka rahasya कहानी आपको पसंद आया होगा।
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धमाका कितना जोरदार था, इसकी भयावहता का अनुमान
इसी बाद से लगाया जा सकता है कि धमाके के बाद धुल और
अग्नि का एक विशाल बादल आकाश में बन गया ! हरे पेड़
जो धमाके के स्थान से 30 किलोमीटर के घेरे में थे, धुल
धूसरित होकर नष्ट हो गयी !
जोरदार धमाके के असर से 60 किलोमीटर दूर रहने वाले लोग भी उसकी आवाज और कम्पन से बेहोश होकर गिर पड़े ! धमाके की वजह से खड़े मकान पल भर में मिट्टी में मिल गयी और तो और 60 किलोमीटर दूर स्थित जानवर भी अपने आप को संभाल नहीं पाए और जमीन पर गिर पड़े !
बाद में जब धमाके स्थल का जायजा लेने के लिए वैज्ञानिक वहां पहुंचे, तो उनकी उम्मीदों के अनुसार उन्हें वहां एक विशाल गड्ढा मिलने का विशवास था ! उनकी इस उम्मीद का कारण था उनका विश्वास, की हो न हो, वहां जरूर कोई विशाल उल्कापिंड धरती से टकराया था !
ऐसा होने की दशा में ये अवश्यंभावी था की धमाके स्थल पर एक विशाल गड्ढा हो, परन्तु घटनास्थल पर पहुंचे वैज्ञानिको उस समय स्तब्ध रह गए , जब उन्होंने वहां ऐसा कुछ नहीं पाया ! आश्चर्य की बात तो यह थी की घटनास्थल के बीचो बीच कई स्थानो पर जंगल सुरक्षित था और वहां अब भी पेड़ खड़े थे ! धमाके से नष्ट हुए शेष इलाके के अपेक्षा वहां कम नुक्सान हुआ था !
कितनी अनोखी बाद थी की जिस धमाके की वजह से तीस किलोमीटर तक का सारा जंगल नष्ट हो गया हो, वही ठीक धमाके स्थल पर सबसे कम नुकसान हुआ हो !
एक बाद तो साफ थी की धमाके का कारण चाहे जो रहा हो, परन्तु वह उल्कापिंड की वजह से कतई नहीं था ! घटना स्थल का अध्ययन करने पर पता चला की धमाका धरती से टकरा कर नहीं हुआ, अपितु वह पृथिवी की सतह से काफी ऊपर हवा में हुआ था !
कुछ लोगो के अनुसार धमाके का कारण यू. एफ. ओ (unorganised flying objects यानि अंतरिक्ष से अन्य ग्रहो से आने वाले यान ) था ! एक ऐसी उड़न-तश्तरी, जो शायद आणविक शक्ति से संचालित थे और किसी कारण से उसमे विस्फोट हो गया हो !
कई लोग जो U.F.O से सम्बंधित अध्ययन में लगे हुए है, इस तथ्य को ही वास्तविकता मानते है ! उनके इस तथ्य को कई वैज्ञानिकों ने भी बिना किसी हील हुज्जत के मान लिया !
हालाँकि आज कई वैज्ञानिक इस बात को मानने से इंकार करते है, परन्तु वे भी धमाके के कारण का कोई भी स्पष्टीकरण नहीं दे पाए है ! साइबेरिया में उस दिन क्या हुआ था या क्या नहीं हुआ था, यह आज भी एक रहस्य ही है ! पर जो बात सबसे अच्छी रही, वह यह की वो धमाका सुदूर जंगल
में हुआ था न की किसी शहर के बीचोबीच !
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Nice post
ReplyDeletewww.thewhatsappgrouplink.com
Bahut hi shandaar story hai
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