बेवफाई शायरी
हमें न मोहब्बत मिली न प्यार मिला ;
हम को जे भी मिला बेवफ़ा यार मिला ;
अपनी तो बन गई तमाशा जिंदगी ;
हर कोई अपने मकसद का तलबगार मिला !
प्यार किया था तो प्यार का अंजाम कहाँ मालूम था !
वफ़ा के बदले मिलेगी वेफ़ाई कहाँ मालूम था !
सोचा था तैर कर पार कर लेंगे प्यार के दरिया को !
पर बीच दरिया मिल जायेगा भंवर कहाँ मालूम था !
प्यार करने का हुनर हमें आता नहीं ;
इललिए हम प्यार की बाजी हार गए ;
हमारी जिन्दगी से उन्हें बहुत प्यार था ;
शायद इसलिए वो हमें जिंदा ही मार गई !
जनाजा मेरा उठ रहा था ;
फिर भी तकलीफ थी उसे आने में ;
बेवफ़ा घर में बैठी पूछ रही थी ;
और कितनी देर है दफनाने में !
मत बहा आँसुओं में जिंदगी को ;
एक नए जीवन का आगाज कर ;
दिखानी है अगर दुश्मनी की हद तो ;
जिक्र भी मत कर , नज़र अंदाज़ कर ;
नहीं करती थी प्यार तो , मुझे बताया होता ;
गौर फरमायेगा ;
नहीं करती थी प्यार तो, मुझे बताया होता ;
बुला के पार्क में यूँ धोखे से अपने भाईयों से ;
तो ना पिटवाया होता !
तुमको समझाता हूँ इसलिए ए दोस्त ;
क्योंकि सबको ही आज़मा चुका हूँ मैं ;
कहीं तुमको भी पछताना ना पड़े यहाँ ;
कई हसीनों से धोखा खा चुका हूँ मैं !
मज़बूरी में जब कोई जुदा होता है ;
ज़रूरी नहीं कि वो बेवफ़ा होता है ;
देकर वो आपकी आँखो़ में आँसू ;
अकेले में वो आप से ज्यादा रोता है !
जिंदगी से बस यही एक गिला है ;
खुशी के बाद ना जाने क्यों गम मिला है ;
हमने तो की थी वफ़ा उनसे जी भर के ;
पर नहीं जानते थे कि वफ़ा के बदले बेवफ़ाई ही सिला है !
जो जख़्म दे गए हो आप मुझे ;
ना जाने क्यों भरता नहीं ;
चाहते तो हम भी हैं कि आपसे अब न मिले ;
मगर ये जो दिल है कमबख्त समझता ही नहीं !
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