चाँद के सामने क्या था वह ? - Chand ke samne UFO :
मानव ने चाँद पर विजय प्राप्त कर ली है, यह बाद आज शायद ही किसी को बताने की जरुरत है। सारी दुनिया जानती है की चाँद को विजित किया जा चुका है। परंतु इसके पीछे वर्षों की अथक मेहनत और दृढ़ निश्चय की भावना ही थी, जिससे मानव ऐसा कर सका।
वर्षों के अध्ययन और यांत्रिक कुशलता के फलस्वरूप ही मानव चाँद पर पहुँचने में सक्षम हो पाया, परंतु चाँद पर बसने का उसका सपना अभी साकार नहीं हो पाया है, क्योंकि चाँद पर मानव के रहने योग्य वातावरण उपलब्ध नहीं है।
चाँद पर पैर रखने से पहले जब मानव इतना सक्षम नहीं था, वह चाँद पर जीवन होने की कल्पना किया करता था। उसने
अपनी सोच में चाँद पर बसने वाले प्राणियों की काल्पनिक
तस्वीरें भी गढ़ रखी थीं, तब उसके पास अपनी इन जिज्ञासाओं को शांत करने का कोई साधन न था। वह रात्रि में शक्तिशाली दूरबीनों की सहायता से चाँद को घंटों निहारा करता था।
इसी सन्दर्भ में 4 अप्रैल, 1982 की रात्रि में चाँद को निहारते हुए मुल्लर नामक एक डच खगोल शास्त्री को कुछ विचित्र दृश्य दिखाई दिया।
चाँद पर पैर रखने से पहले जब मानव इतना सक्षम नहीं था, वह चाँद पर जीवन होने की कल्पना किया करता था। उसने
अपनी सोच में चाँद पर बसने वाले प्राणियों की काल्पनिक
तस्वीरें भी गढ़ रखी थीं, तब उसके पास अपनी इन जिज्ञासाओं को शांत करने का कोई साधन न था। वह रात्रि में शक्तिशाली दूरबीनों की सहायता से चाँद को घंटों निहारा करता था।
इसी सन्दर्भ में 4 अप्रैल, 1982 की रात्रि में चाँद को निहारते हुए मुल्लर नामक एक डच खगोल शास्त्री को कुछ विचित्र दृश्य दिखाई दिया।
चाँद को निहारते हुए उस रात मुल्लर ने एक बड़ा ही अजीब नजारा देखा। उसने अपनी दूरबीन की सहायता से चाँद के सामने से होकर गुजरती हुई एक काली तश्तरीनुमा चीज को देखा।
उस दृश्य को देखकर मुल्लर सकते में आ गया। उसकी समझ में ही न आया की वह क्या थी ? याद रहे की उस समय मानव उड़न-तश्तरियों से संबंधित घटनाओं से परिचित न था। मुल्लर ने इस अजीब दृश्य का अनेक साथी खगोलविदों से भी जिक्र किया, परंतु कोई भी उसे ठीक-ठीक जवाब न दे सका।
क्या उस रात मुल्लर ने जो देखा, वह उड़न-तश्तरी थी ? क्या उड़न-तश्तरियों के विचित्र सवार मानव के चाँद पर पहुँचने के वर्षों पहले ही वहां पहुँच चुके थे ?
उस दृश्य को देखकर मुल्लर सकते में आ गया। उसकी समझ में ही न आया की वह क्या थी ? याद रहे की उस समय मानव उड़न-तश्तरियों से संबंधित घटनाओं से परिचित न था। मुल्लर ने इस अजीब दृश्य का अनेक साथी खगोलविदों से भी जिक्र किया, परंतु कोई भी उसे ठीक-ठीक जवाब न दे सका।
क्या उस रात मुल्लर ने जो देखा, वह उड़न-तश्तरी थी ? क्या उड़न-तश्तरियों के विचित्र सवार मानव के चाँद पर पहुँचने के वर्षों पहले ही वहां पहुँच चुके थे ?
उड़न-तश्तरियों से संबंधित तथ्यों का अध्ययन करने वालों के अनुसार इसमें कोई आश्चर्य नहीं की वे हमसे भी पहले ऐसा कर चुके हो। वे उड़ान संबंधी तकनीक में हमसे सैकड़ों गुना ज्यादा विकसित है, यह एक सर्वविदित एवं सर्वमान्य तथ्य है।
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