लड़ाकू बेड़ा और उड़न-तश्तरी : Flying UFO Real Story -
द्वितीय विश्वयुद्ध अपनी चरम सीमा पर था। ऐसे में उस लड़ाकू बेड़े को दुश्मनों पर कड़ी नजर रखने के सख्त निर्देश
दिए गए थे। उस लड़ाकू बेड़े के कर्मचारी पूरी मुस्तैदी से अपने काम को अंजाम दे रहे थे।
वैसे भी उनका बेड़ा उस समय दुश्मन की जल सीमा में खड़ा था और ऐसे में किसी भी लापरवाही की जरा भी गुंजाइश न थी।
घटना 26 फरवरी, 1942 की है। ट्रॉम्प नामक एक छोटा, मगर पूर्ण सुसज्जित डच लड़ाकू बेड़ा और उस पर सवार
चालक दाल के सदस्य दुश्मन की टोह लेने का अपना काम
बड़ी ही मुस्तैदी से कर रहे थे।
घटना 26 फरवरी, 1942 की है। ट्रॉम्प नामक एक छोटा, मगर पूर्ण सुसज्जित डच लड़ाकू बेड़ा और उस पर सवार
चालक दाल के सदस्य दुश्मन की टोह लेने का अपना काम
बड़ी ही मुस्तैदी से कर रहे थे।
घटना वाले दिन वह लड़ाकू बेड़ा ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया के बीच स्थित तिमोर सागर से होकर गुजर रहा था कि सहसा पहरे पर लगे चालक दल के एक सदस्य ने किसी हवाई जहाज के बेड़े की तरफ आने से संबंधित निर्देश दिए।
संभावित किसी हवाई खतरे को देखते हुए संबंधित अधिकारी तुरंत ही सतर्क हो गया, जब उसकी नजर आने वाले हवाई जहाज पर पडी, तो वह बुरी तरह से चौंक गया। उस अधिकारी के चौंकाने का कारण वह विमान ही था। उसने अपने जीवन में वैसा अजीब यान कभी नहीं देखा था।
वह यान सामान्य यानों से एकदम विपरीत था। उसके किसी भी प्रकार के पंख न ही थे और वह पूर्णतः गोल था। आकाश में चमक रहे सूर्य की रोशनी में वह विशेष आकार वाला यान पूर्णतः चांदी के समान चमक रहा था।
यान हवा में एक गोता लगता हुआ उस लड़ाकू बेड़े के पास
उतर आया और उसके चक्कर लगाने लगा। बेड़े पर मौजूद
चालक दल के किसी भी सदस्य ने उससे पहले वैसी कोई चीज नहीं देखी थी।
संभावित किसी हवाई खतरे को देखते हुए संबंधित अधिकारी तुरंत ही सतर्क हो गया, जब उसकी नजर आने वाले हवाई जहाज पर पडी, तो वह बुरी तरह से चौंक गया। उस अधिकारी के चौंकाने का कारण वह विमान ही था। उसने अपने जीवन में वैसा अजीब यान कभी नहीं देखा था।
वह यान सामान्य यानों से एकदम विपरीत था। उसके किसी भी प्रकार के पंख न ही थे और वह पूर्णतः गोल था। आकाश में चमक रहे सूर्य की रोशनी में वह विशेष आकार वाला यान पूर्णतः चांदी के समान चमक रहा था।
यान हवा में एक गोता लगता हुआ उस लड़ाकू बेड़े के पास
उतर आया और उसके चक्कर लगाने लगा। बेड़े पर मौजूद
चालक दल के किसी भी सदस्य ने उससे पहले वैसी कोई चीज नहीं देखी थी।
यान तीन घंटे तक ट्रॉम्प नामक उस लड़ाकू बेड़े के हवाई चक्कर लगाता रहा। फिर यकायक तीव्र गति से उड़ता हुआ एक ओर निकल गया।
वह विचित्र उड़न-तश्तरी क्या थी और उसका उस लड़ाकू बेड़े
के चारों तरफ मंडराने के पीछे क्या उद्देश्य था ? यह रहस्य
हमेशा-हमेशा के लिए रहस्य ही बन कर रह गया।
उम्मीद करता हूँ लड़ाकू बेड़ा और उड़न-तश्तरी : Flying UFO Real Story कहानी आपको पसंद आया होगा।
वह विचित्र उड़न-तश्तरी क्या थी और उसका उस लड़ाकू बेड़े
के चारों तरफ मंडराने के पीछे क्या उद्देश्य था ? यह रहस्य
हमेशा-हमेशा के लिए रहस्य ही बन कर रह गया।
उम्मीद करता हूँ लड़ाकू बेड़ा और उड़न-तश्तरी : Flying UFO Real Story कहानी आपको पसंद आया होगा।
Alien से संबंधित इसी तरह के real और mysterious story का नोटिफिकेशन पाने के लिए इस ब्लॉग को सब्सक्राइब करें और Alien Ki Duniya फेसबुक पेज को लाइक करें।
Comments
Post a Comment